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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
भारत... एक युवा देश, एक कालातीत सभ्यता
इसे जाने भारत के अपने कथाकार अमीश के साथ
भारत, एक संस्कृति जो सभ्यता के उदय का साक्षी रहा है। जिसने अन्य संस्कृतियों को उठते और धूल में मिलते देखा है। यह विख्यात हुई, तो इस पर आक्रमण भी हुए। सराहा गया, तो कलंकित भी किया गया। मगर हज़ारों साल से, इतिहास की तमाम उठापटक के बावजूद, यह अभी भी मौजूद है ! और अब, कई सदियों के पतन के बाद, एक बार फिर नई सुबह की ओर बढ़ रही है। अज्ञानाभवर्ष। भारत। हिंदुस्तान। इंडिया। नाम बदल सकते हैं लेकिन इस महान देश की आत्मा है।
अमीश असरदार लेखों, गहन वक्तव्यों और बौद्धिक चर्चाओं की श्रृंखला के माध्यम से भारत को एक नए रूप में समझने में आपकी मदद करते हैं। धर्म, पुराण, परंपरा, इतिहास, समकालीन सामाजिक आदर्शों, प्रशासन, और नैतिक मूल्यों जैसे विषयों पर अपनी गहन जानकारी के आधार पर अमीश, ‘अमर भारतः युवा देश, कालातीत सभ्यता’ में आकर्षक रूप से आधुनिक दृष्टिकोण के साथ प्राचीन संस्कृति का विस्तृत ख़ाका खींचते हैं।
‘अमीश... अतीत के एक असाधारण, मौलिक और आकर्षक दृष्टिकोण के साथ एक गहन विचारशील व्यक्ति हैं’
- शेखर गुप्ता ’नए भारत को समझने के लिए आपको अमीश को पढ़ना चाहिए’
- स्वपन दासगुप्ता
इसे जाने भारत के अपने कथाकार अमीश के साथ
भारत, एक संस्कृति जो सभ्यता के उदय का साक्षी रहा है। जिसने अन्य संस्कृतियों को उठते और धूल में मिलते देखा है। यह विख्यात हुई, तो इस पर आक्रमण भी हुए। सराहा गया, तो कलंकित भी किया गया। मगर हज़ारों साल से, इतिहास की तमाम उठापटक के बावजूद, यह अभी भी मौजूद है ! और अब, कई सदियों के पतन के बाद, एक बार फिर नई सुबह की ओर बढ़ रही है। अज्ञानाभवर्ष। भारत। हिंदुस्तान। इंडिया। नाम बदल सकते हैं लेकिन इस महान देश की आत्मा है।
अमीश असरदार लेखों, गहन वक्तव्यों और बौद्धिक चर्चाओं की श्रृंखला के माध्यम से भारत को एक नए रूप में समझने में आपकी मदद करते हैं। धर्म, पुराण, परंपरा, इतिहास, समकालीन सामाजिक आदर्शों, प्रशासन, और नैतिक मूल्यों जैसे विषयों पर अपनी गहन जानकारी के आधार पर अमीश, ‘अमर भारतः युवा देश, कालातीत सभ्यता’ में आकर्षक रूप से आधुनिक दृष्टिकोण के साथ प्राचीन संस्कृति का विस्तृत ख़ाका खींचते हैं।
‘अमीश... अतीत के एक असाधारण, मौलिक और आकर्षक दृष्टिकोण के साथ एक गहन विचारशील व्यक्ति हैं’
- शेखर गुप्ता ’नए भारत को समझने के लिए आपको अमीश को पढ़ना चाहिए’
- स्वपन दासगुप्ता
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